बिहार। जैसे-जैसे बिहार चुनाव अपने चरम पर है। वैसे ही दावों की बौछार की जा रही है। जनता की नब्ज टोटलने के लिए सभी पार्टी उनके पास तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। भाजपा फ्री में कोरोना वैक्सीन का टीका लाने का दावा कर रही है। वहीं, लॉकडाउन की मार झेलने वाले युवाओं को नौकरी देने का वादा किया गया है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सत्ता में आने पर बिहार के मतदाताओं को 10 लाख नौकरियों का वादा किया है। कांग्रेस पार्टी हर माह युवाओं को रोजगार देने की वजह में 15 हजार रुपये के बेरोजगारी भत्ते की बात कर रही है। जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने समान काम के लिए समान वेतन देना का दावा कर रही है। जनता दल यूनाइटेड (जद यू)) की तरफ से कहा गया है कि अपने कार्यकाल में 6 लाख नौकरियां दी हैं। इसके अलावा 60 हजार नौकरियां और देने का प्रयास हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘जो लोग रिश्वत लेने के लिए सरकारी नौकरियों को एक साधन के रूप में देखते हैं, वे कैसे रोजगार दे सकते है’। बिहार में बेरोजगार दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। सीएमआईई के अनुसार सितंबर में बेरेाजगारी दर 7.4% की तुलना में 11.9% रही। कोरोना के चलते मार्च में अचानक बंद होने के बाद से रोजगार का मुद्दा सबसे से ऊपर हो गया है, जिससे लाखों प्रवासियों (सरकारी आंकड़ों के अनुसार 15 लाख से अधिक) को अपनी नौकरी खोने के बाद बिहार लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अप्रैल और मई में राज्य में बेरोजगारी की दर 46% थी।
इन चुनावों में कुल 7.18 करोड़ पात्र मतदाता हैं, जिनमें 78 लाख पहली बार मतदाता होंगे और लगभग 4 करोड़ 18 से 40 वर्ष के आयु वर्ग में हैं। नौकरियों या नौकरियों का नुकसान इस समूह के लिए एक बड़ा कारक है। जिस वजह से सारी पार्टियां नौकरी और रोजगार का वादा सबसे पहले कर रही हैं।