झांसी का मंदिर और कांग्रेस का चुनाव चिन्ह
नवरात्रि के अवसर पर झांसी के जिस महाकाली मंदिर में हर साल भक्तों का तांता लगता है, उसका इतिहास कुछ हटके है। सिद्धपीठ होने के साथ यह मंदिर भारतीय राजनीति के लिए अहम है। इसी मंदिर में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह बदला था। साथ ही पूर्व पीएम स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने परेशानी के समय मां के दर पर सिर झुकाया था। मां का आर्शीवाद हासिल कर एक बार फिर भारी बहुमत से जीतकर सत्ता का सुख पाया था।
मंदिर के व्यवस्थापक और संचालक पं. गोपाल त्रिवेदी के मुताबिक, 1977 में सत्ता से बाहर होकर बुरी तरह से क्षीण हुई कांग्रेस एक फिर से कुर्सी हासिल करने की जुगत में लगी हुई थी। तभी इंदिरा गांधी अपने विशेष सलाहकार लोकपति त्रिपाठी व कमलापति त्रिपाठी के कहने पर भगवती मां काली के दरबार में सिर झुकाने पहुंची थी। मां का आर्शीवाद प्राप्त कर उन्होंने कांग्रेस का चुनाव चिंह बदला था। कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिंह “हाथ का पंजा” इसी मंदिर की देन है। कांग्रेस पार्टी का इससे पहले चुनाव चिन्ह गाय बछड़ा हुआ करता था।
विरोधी लहर से परेशान थी स्व इंदिरा गाँधी
पंडित गोपाल त्रिवेदी ने बताया कि कमलापति त्रिपाठी कांग्रेसी नेता श्रीमती गांधी के करीबी माने जाते थे। 1977 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो विरोधी जबरदस्त लहर थी। ऐसे में दोबारा सत्ता में लौटने के लिए इंदिरा गांधी बेहद परेशान थीं। हालात से निकलने के लिए इदिरा ने कमलापति त्रिपाठी के माध्यम से उन्होंने झांसी की सिद्धपीठ माँ भगवती के मंदिर के दर्शन करने के लिए 1978 में झांसी आयी।
पं. त्रिवेदी बताते हैं कि इस पर इदिरा गांधी परेशान दिखाई दी। इस पर गुरु जी ने कहा कि मैं आपके मुखमंडल से आपको देश का प्रधानमंत्री दोबारा बनते देख रहा हूं। पंडित जी की यह बात सुनकर वह अवाक रह गयीं और कहा कि इस समय कांग्रेस के लिए देश में हालात बेहद विपरीत हैं और आप दोबारा प्रधामंत्री बनने की बात कह रहे हैं यह कैसे संभव है? पंडित जी ने कहा कि यह निश्चित होगा। मां भगवती की कृपा आप पर हैं और आप देश की सत्ता हासिल करेंगी और आपका वैभव पुनः लौटेगा।
कांग्रेस पार्टी के पुर्नजीवन के लिए कराई थी विशेष पूजा
कांग्रेस में पुर्नजीवन लाने के लिए इदिरा के अनुरोध पर पंडित जी ने उन्हें मंदिर में एक विशेष पूजन कराने को कहा। पूजन के बाद पंडित जी ने गांधी को कहा कि मां भगवती प्रेरणा दे रहीं हैं कि आप अपना चुनाव चिंह बदलें। हो सकता है कि इससे कांग्रेस में नवऊर्जा का संचार हो और आपकी पार्टी को नवजीवन मिले। इसके बाद श्रीमती गांधी ने गुरु जी बताए अनुसार मां के आर्शीवाद स्वरुप हाथ के पंजे को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह बनाया था।
मां भगवती की कृपा का मांगा था प्रमाण
श्रीमती गांधी ने पंडित जी से मां भगवती की कृपा का संकेत जानने की इच्छा जताई थी। इस पर गुरु जी ने बताया कि चुनाव परिणामों में जब तीन चौथाई से अधिक मत आपकी पार्टी को मिलने लगे तो समझ जाइयेगा कि आप पर मां भगवती की कृपा हो गई है।
मां भगवती को चढ़ाया था हाथ का पंजा
इस अप्रत्याक्षित जीत के बाद प्रधानमंत्री के रुप में पूरे लाव लश्कर के साथ श्रीमति इंदिरा गांधी मां भगवती काली के द्वार पर पहुंची थी। इस सिद्धपीठ और भगवती मां काली की अकथनीय शक्ति ने देश की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री को अपनी शक्ति का एहसास कराया | और उन्होंने दो बार माँ के चरणों में शीश नमन किया। दूसरी बार मां के आर्शीवाद के रूप में मिला “हाथ का पंजा” भी उन्होंने मंदिर में चढ़ाया था।
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